The 5-Second Trick For Shodashi
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The mantra seeks the blessings of Tripura Sundari to manifest and satisfy all wished-for results and aspirations. It truly is thought to invoke the mixed energies of Mahalakshmi, Lakshmi, and Kali, with the last word goal of attaining abundance, prosperity, and fulfillment in all facets of life.
एकस्मिन्नणिमादिभिर्विलसितं भूमी-गृहे सिद्धिभिः
Matabari Temple is a sacred position the place folks from unique religions and cultures Acquire and worship.
संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा
क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥
सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
She is the possessor of all great and amazing factors, which include Bodily items, for she teaches us to possess without click here staying possessed. It is claimed that dazzling jewels lie at her ft which fell through the crowns of Brahma and Vishnu once they bow in reverence to her.
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः
लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-
श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥
भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।
Shodashi also implies sixteen and the perception is in the age of sixteen the Bodily system of a human being attains perfection. Deterioration sets in right after sixteen a long time.